कुँवारां री पीड़ा

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दुनिया का सब ‘कुँवारा’ मिलकर,
मीटिंग है बुलवाई ।
जा कर के ‘भगवान’ कै आगै,
अर्जी एक लगाई ।।

अर्जी एक लगाई,
“प्रभु” नैया पार लगावो।
काई बिगाड्यो थांको,
म्हाने क्यूँ नहीं परणावो ।।

म्हे सुणी हां थारै पास,
है सगळां की जोड़ी ।
म्हारी बारी कद आसी,
म्हे कद चढ़ांला घोड़ी ।।

कद चढांला घोड़ी,
लुगाई म्हाने भी दिलवाओ ।
दुनिया ताना मारे वां को,
मुण्डो बंद करावो ।।

इस्यो कांई बुरो कियो जो,
म्हे इत्तौ दुःख पावां ।
रोजीना थांके मिन्दर में,
हाज़री म्हे लगावां ।।

हाज़री म्हे लगावां ,
रोज चढ़ावां लाडू, पेठा ।
धारली ढिठाई थे तो,
निष्ठुर बण कर बेठ्या ।।

पग पकड़ां ‘भगवान्’ थारा,
अब थांकी जिद छोड़ो ।
सगळा काम करां हाथां सूं,
रोट्यां को भी फोड़ो ।।

रोट्यां को भी फोड़ो,
पाँती आवे जिसी देदो ।
नहीं देणे री मन में है तो,
साफ़ साफ़ कहदो ।।

‘कुँवारा’की बात सुण कर ,
“भगवन” कर्यो विचार ।
आ सगळां की किस्मत में,
कैयां कोनी ‘नार’ ।।

कैयां कोनी ‘नार’,
देखणा पड़ सी सगळा खाता ।
इत्ती बड़ी भूल कियां,
कर दिनी ‘बेमाता’ ।।

तकदीरां का पोथी पाना,
सगळा सामी खोल्या ।
लेखा जोखा देख कर,
“भगवान्” पाछा बोल्या ।।

“भगवान्” पाछा बोल्या,
दुःख नहीं लिखोड़ो थारे ।
सुख ही सुख लिखोड़ो ,
‘नारी’ कियां लगाऊँ लारे ।।

बडेरां री पुण्याई ही,
थांरै आडी आई ।
चोखा करम करोड़ा थांका,
कोनी हुई सगाई ।।

कोनी हुई सगाई ,
उम्र भर थे रेवोला सो’रा ।
‘पराण्यौड़ा’ नैे जा कर पूछो,
बे है कितना दो’रा ।।

पत्नी सुख ने छोड कर,
सब सुख थाने मिलसी ।
खोटा करम करोड़ा,
वा नै ही लुगायाँ मिलसी ।।

वा ने ही लुगायाँ मिलसी,
वे करमां रा फल भोगेला ।
लुगायाँ री सुणता सुणता,
होजासी पूरा गेला ।।

आखिर में “प्रभु”बोल्या,
सुणो वचन ध्यान से म्हारा ।
सुख सूं जीवन जीणो है तो,
रह जाईयो ‘कुँवारा’ ।|

कहे कवि मिठू”, ‘कुँवारा’
अब राजी हो जावो ।
जब तक हो दुनिया में तब तक,
खुल्ली मौज़ मनावो।|