राजस्थान में बहुत सारे मशहूर किले और ऐसी जगहें है, जिनका अपना इतिहास है। लेकिन इनमें से कुछ जगहें भूतिया और रहस्यमई भी है। ऐसा ही एक रहस्यमई गाँव है, कुलधरा, जैसलमेर। कहते है यह गाँव एक रात में ही वीरान हो गया था और अब भी पिछले 170 सालों से वीरान पड़ा है। आइए जानते है इस गाँव के रातों रात वीरान होने की दास्तान:


कुलधरा गाँव अब एक टूरिस्ट प्लेस में बदल चूका है। यह गाँव जैसलमेर शहर से 17 किमी. दूरी पर मौजूद है। इस गाँव के आसपास 84 गांव थे और कुलधरा इन में से एक था। इस गाँव में पालीवाल ब्राह्मण रहते थे। इस गाँव के वीरान होने की 2 कहानियां प्रचलित है।

पहली कहानी
यहां के शासक सलीम सिंह की गन्दी नज़र गाँव की एक खूबसूरत लड़की पर पड़ गयी थी। वह उस लड़की से ज़बरदस्ती शादी करना चाहता था। इसके लिए सलीम सिंह ने ब्राह्मणों पर दबाव बनाना शुरू कर दिया और उसने लड़की से शादी करने के लिए चंद दिनों की मोहलत दी।

यह ज़बरदस्ती की शादी उनके समुदाय के सम्मान और गौरव के खिलाफ थी। इसलिए गाँव के मुखि ने यह फैसला लिया के वो रातों रात इस गाँव को छोड़ कर चले जायेंगे। जाते समय उन्होंने इस गाँव को श्राप दे दिया कि इस जगह पर कोई भी बस नहीं पायेगा। उस रात के बाद यहां सब वीरान हो गया और आज तक यहां कोई नहीं बस पाया।

दूसरी कहानी
दूसरी कहानी के मुताबिक यहां का शासक सलीम सिंह ब्राह्मणों पर अत्याचार करता था। उसने कर और लगान इतना बढ़ा दिया था कि ब्राह्मणों का व्यापार और खेती करना मुश्किल हो गया था।

वह उनको गुलाम बना के रखता था। उसके इन अत्याचारों से दुखी हो कर ब्राह्मणों ने गाँव छोड़ने का फैसला किया। गाँव छोड़ते वक्त उन्होंने ने गाँव को श्राप दे दिया कि इस जगह पर कोई भी बस नहीं पायेगा।

आज भी है श्राप का असर
कहते है कि वहां आज भी रूहानी ताकतों का कब्ज़ा है। वहां कुछ लोगों ने बसने की कोशिश भी की थी, लेकिन वो असफल हो गए। गाँव में घूमने आने वाले लोगों के मुताबिक ब्राह्मणों की आहट आज भी सुनाई देती है और ऐसे लगता है कि साथ कोई और भी चल रहा है।

कहा जाता है कि यह गांव रूहानी ताकतों के कब्जे में है। अब ये गांव पूरी तरह से टूरिस्ट प्लेस बन चुका है। कुलधरा गांव घूमने आने वालों के मुताबिक यहां रहने वाले पालीवाल ब्राह्मणों की आहट आज भी सुनाई देती है। बाजार के चहल-पहल की आवाजें आती हैं, महिलाओं के बात करने और उनकी चूड़ियों और पायलों की आवाज हमेशा ही आती रहती है।


इस गांव में एक मंदिर है जो आज भी श्राप से मुक्त है। एक बावड़ी भी है जो उस दौर में पीने के पानी का जरिया था। एक खामोश गलियारे में उतरती कुछ सीढ़ियां भी हैं, कहते हैं शाम ढलने के बाद अक्सर यहां कुछ आवाजें सुनाई देती हैं। लोग मानते हैं कि वो आवाज 18वीं सदी का वो दर्द है, जिनसे पालीवाल ब्राह्मण गुजरे थे। गांव के कुछ मकान हैं, जहां रहस्यमय परछाई अक्सर नजरों के सामने आ जाती है।