छोरी आळा लड़को देखण न गया।

लड़को देख्यो, लड़को एकदम दूबळो, पण सरकारी नौकरी लागेड़ो हो ।

थोड़ी देर बात कर छोरी आळा बोल्या, जी म्हे थोडी देर म पाछा आवां हां।

लड़का ळा सोच्यो कोई जाण पिछाण का होवे ला , मिलण न जाता होसीं।

छोरी आळा बजार जा र पाछा आया, सागे एक घी को पीपो ल्याया।

लड़क का बाप न देर बोल्या, लड़का न गूंद का लाडू जिमावो, तीन महीना पाछे बात करस्यां।

लड़का को बाप बोल्यो  - जे तीन महीना पाछे भी ओ दूबळो ई रियो जणां ?

छोरी आळा  बोल्या - तो कोई बात कोन्या, छोरी डूबण स तो पीपो डूबेड़ो ही चोखो।