अब बा बात कोन्या रइही
आजकल की स्कूला में बा बात कौनी रही जा पहल्या होया करती...
पुराने टेम मे मासटर होया करता यमदूत सा...
आजकल आली मैडमा फूटरी फूटरी सी ... टाबर पढै क बाने देखे
बडा बडा टाबर पढया करता ,दाड़ी मूछ हाला ...
दसवी मै तो टाबरा का काका भी साथ पढ़या...अर मासटरा कनु कुटिजता रेहवता....
मास्टर भी अंया कूटता जीयां धुडो काको दोपहरी मे जांटी क नीचै मुंज कूटतो
मै तो टाबरपणे से ही सयाणो हो, जको मै तो स्कूलड़ी क माय जातो ही कोनी
कयां और की खातर जातो
नाह धो के मास्टरया कनु मार खाणन ? या कठे की स्याणपत हैं।
एक बर दादी बोली ...ज मेरो राजो बेटो स्कूल चलो जावे तो पताशो देस्यु...
मै दादी क चक्करा म आग्यो
स्कूल में मनै मास्टर बोल्यो
अर दो को पहाड़ो सुनाई रे सुरिया
आपां न तो आतो कोनी हो... सुनातो के बाप को सिर, मै तो इनै बिनै देखैण लाग्यो
मास्टर तो भाया लेके डंडो मैरे फिंच्या पर मारण लाग्यो ....
तड़ई... तड़ई...डंडो ही टूटग्यो जद छौड्यो
मै तो दादी कण जाके जेब सूं काढ के पताशो पकड़ायो और कहयो गाढ़ो राख तेरे पताशे न
आपां कोनी जांवा स्कूल औरु कदे
दसे क दिन पाछै दादी बोली सुरिया बेटा तु धोल्या काका क सागै चल्यो ज्या..
तेरो काको तनै मारण कौनी दे
काको नोवीं मे पढ़तो हो..दाड़ी मूछ्या हालो गाबरु जवान
उमर या इ कोई तेईस क सांकड़े
मै राजी होके गयो अरै काके कनै ही बिंकी कलास मै ही बेठगो
काको भायला न काकी की बात बताणे लाग्यो... अर् मै पट्टी पर कोचरी को चितर बणाण लाग्यो...
ईत्तै मै मास्टर आग्यो अर् आतो ही काके ने बोल्यो
अर् धोल्या, ज्वार भाटा किसे कहते है ?
काको तो मास्टर ने अयां देखें, जियाँ काणो उँट कंकेड़ा कानी देखे।
मास्टर तो लाल तातो होग्यो अर काके न बणाके मूरगो ईयां कुट्यो ज्याणी लुंग को मिरड़ो झाड़्यो होवे...
जो मेरो गार्ड बण के आयो बी की या हालत देख के मै तो डरग्यो
मै तो पट्टी बरतो बठै ही छोड़ के घरां कानी भाज्यो जाणी कोई रोजड़ो ऊपर पूछ कर के भाज्योजावें
घरां पुगता पांण दादी बोली, आज तो काका क सागै गयो हो न किंया आग्यो ?
मै बोल्यो
तेरा बाप को सिर ....
बो काको तो जवार अर् भाटै खातर ईयां कूटीजण लागरयो ह जीयां ओसर मे गंडक कूटीजै ........