गत मंदिर को अंबिका माता मंदिर भी कहा जाता है, यह भगवती अम्बिका देवी का एक छोटा तीर्थस्थल है जो दरार भरी चट्टानों में बना हुआ है। भगवती अम्बिका देवी को देवी दुर्गा के रूप में भी माना जाता है। यह मंदिर अम्बिका माता मंदिर के नाम से भी प्रसिद्ध है,और क्यूँकि यह मंदिर उदयपुर के जगत नामक गाँव में स्थित है इसलिए इसे जगत मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। यह मंदिर अपनी बाहरी जटिल नक्कशियों के कारण भी जाना जाता है।
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इस मंदिर का निर्माण 961 ईसवी में हुआ था। जगत मंदिर दसवीं सदी का सबसे अच्छा संरक्षित मंदिर है जिसने जगत नामक गाँव को ‘राजस्थान का खजुराहो’ बना दिया है। इस मंदिर में अम्बिका माता के तीर्थस्थल को भी शामिल किया गया है जहाँ देवी दुर्गा की शक्ति के रूप में पूजा की जाती है जिसे शक्ति का एकमात्र स्त्रोत भी कहा जाता है।

जगत अम्बिका माता मंदिर की वास्तुकला

कई वर्ष पूर्व जगत मंदिर प्रतिहार काल का उच्च बदलाव था यहाँ देवी की केवल मुख्य प्रतिमा ही मौजूद है। इस पंक्ति में एक प्रार्थना हॉल भी शामिल है जिसे मंडप कहा जाता है। यह दो तरफ़ से बनाया  किया गया है और इसमें एक छोटा बरामदा है जो निगरानी में है। इस प्रार्थना हॉल  में कई खिड़कियाँ है जिसकी पट्टियों पर भव्य नक़्क़ाशी की गयी है। और इसकी छत पिरामिड की तरह ऊँची उठी हुई है।

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इस मंदिर का प्रार्थना हॉल इसलिए भी आकर्षित है क्यूँकि इसमें भगवान गणेश के नक़्क़ाशीदार पैनल लगें है। इस मंदिर की वास्तुकला इसलिये इतनी उत्कृष्ट है क्यूँकि इस मंदिर का अंगना में कई दिव्य देवों, देवियों, नर्तकियों व गायकों की प्रतिमाएँ लगी हुई है।

जगत मंदिर की गुफा एक कलात्मक मुखोटे की तरह है जो पौराणिक कथाएँ दर्शाती है। ये गुफाएँ देवी दुर्गा का सुंदर दृश्य दर्शाती है। और ये सभी मूर्तियाँ कई छोटी पत्तियों से संरक्षित है। और यह मंदिर हमें ईश्वर के नज़दीक होने का अहसास दिलाता है।