माउंट आबू राजस्थान का एकमात्र हिल स्टेशन है। समुद्र तल से 1220 मीटर की ऊँचाई पर स्थित माउंट आबू को राजस्थान का स्‍वर्ग भी माना जाता है। नीलगिरि की पहाड़ियों पर बसे माउंट आबू की भौगोलिक स्थित और वातावरण राजस्थान के अन्य शहरों से भिन्न व मनोरम है। यह स्थान राज्य के अन्य हिस्सों की तरह गर्म नहीं है। माउंट आबू हिन्दू और जैन धर्म का प्रमुख तीर्थस्थल है। यहाँ का ऐतिहासिक मंदिर और प्राकृतिक ख़ूबसूरती पर्यटकों को अपनी ओर खींचती है।

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इतिहास

अर्बुदा (माउन्ट आबू) क्षेत्र के आस पास मध्यकाल में गुर्जरों का निवास रहा है। बहुत से शिलालेखों जैसे धनपाल की तिलकमंजरी, में गुर्जरों तथा अर्बुदा पहाड़ का उल्लेख मिलता है। 6वीं सदी के बाद इन गुर्जरों ने राजस्थान तथा गुजरात के विभिन्न भागों में अपना राज्य स्थापित किया था। इस कारण ब्रिटिश काल से पहले, गुजरात तथा राजस्थान को सम्मिलित रुप से गुर्जरदेश या गुर्जरत्रा (गुर्जर से रक्षित देश) कहा जाता था।

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पुराण तथा अर्बुदा-पर्वत

पौराणिक कथाओं के अनुसार हिन्दू धर्म के तैंतीस करोड़ देवी देवता इस पवित्र पर्वत पर भ्रमण करते हैं। यह भी कहा जाता है कि महान् संत वशिष्ठ ने पृथ्वी से असुरों के विनाश के लिए यहाँ यज्ञ का आयोजन किया था। जैन धर्म के चौबीसवें र्तीथकर भगवान महावीर भी यहाँ आए थे। उसके बाद से माउंट आबू जैन अनुयायियों के लिए एक पवित्र और पूज्यनीय तीर्थस्थल बना गया। पुराणों में इस क्षेत्र को अर्बुदारण्य कहा गया है।

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नक्की झील

नक्की झील माउंट आबू का प्रमुख आकर्षण है। इस सुंदर झील के किनारे एक सुंदर बगीचा है। यहाँ शाम के समय घूमने और नौका विहार के लिए पर्यटकों का हुजूम उमड़ पड़ता है। नक्की झील राजस्थान की सबसे ऊँची झील है।

एक किवदंती है कि इसका निर्माण देवताओं ने अपने नाख़ूनों से खोद कर किया था इसीलिए इसका नाम नक्की झील पड़ा।

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यह झील सर्दियों में अक्सर जम जाया करती है। झील के किनारे ही यहाँ का मुख्य बाज़ार है जहाँ शाम के समय मेला सा लगा रहता है । इस बाज़ार की वस्तुओं में अधिकतर राजस्थानी व गुजराती छाप नजर आती है।
नक्की झील माउंट आबू का दिल है। प्राकृतिक सौंदर्य का नैसर्गिक आनंद देने वाली यह झील चारों ओर पर्वत शृंखलाओं से घिरी है। झील में एक टापू को 70 अश्वशक्ति से चलित विभिन्न रंगों में जल फ़व्वारा लगाकर आकर्षक बनाया गया है जिसकी धाराएँ 80 फुट की ऊँचाई तक जाती हैं। आरंभ में इसे नख की झील कहा जाता था। समय के साथ बदल कर इसका नाम नक्की झील पड़ गया।

माउंट आबू कों दिलवाड़ा के मंदिरों के अलावा अन्य कई ऐतिहासिक स्थलों के लिए भी जाना जाता है। वैसे तो साल भर पर्यटनों का जमावड़ा यहां रहता हैं। लेकिन गर्मियों के मौसम में पर्यटकों की संख्या में इजाफ़ा हो जाता है। गुरु शिखर, सनसेट प्वाइंट, टोड रॉक, अचलगढ़ क़िला और नक्की झील प्रमुख आकर्षणों में से हैं। यहां की साल भर रहने वाली हरियाली पर्यटकों को ख़ासी भाती है। इसका निर्माण झील के आसपास हुआ है और चारों ओर से यह पर्वतीय क्षेत्र जंगलों से घिरा है।

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गुरु शिखर

राजस्थान में स्थित अरावली श्रेणी की उच्चतम चोटी है। धारवाड़ युग की बनी हुई इस चोटी के आधार शैल में संगमरमर तथा ग्रेनाइट पाए जाते हैं। स्लेट की भी प्रधानता है। इस चोटी में आर्थिक उपयोग के बहुमूल्य पत्थर पाए जाते हैं। माउंट आबू राजस्थान का एकमात्र हिल स्टेशन है। माउंट आबू में अनेक पर्यटन स्थल हैं। इनमें कुछ शहर से दूर हैं तो कुछ शहर के आसपास ही हैं।

➧ गुरु शिखर अरावली पर्वत शृंखला की सबसे ऊंची चोटी है।
➧ गुरु शिखर शहर से 15 किलोमीटर दूर है।
➧ गुरु शिखर से कुछ पहले विष्णु भगवान के एक रूप दत्तात्रेय का मंदिर है।
➧ मंदिर के पास से ही शिखर तक सीढ़ियाँ बनी हैं।
➧ शिखर पर एक ऊंची चट्टान है और एक बड़ा-सा प्राचीन घंटा लगा है।
➧ मंदिर से कुछ ही दूरी पर पीतल की घंटी है जो माउंट आबू को देख रहे संतरी का आभास कराती है।
➧ गुरु शिखर से नीचे का दृश्य बहुत की सुंदर दिखाई पड़ता है।