राजस्थान के बंदाई में एक ऐसा मंदिर हैं जहाँ लोग देवी देवताओं की मूर्तियों की पूजा नहीं करते बल्कि एक मोटरसाइकिल की पूजा करते हैं। इस मंदिर को बुलेट बाबा मंदिर या ओम बन्ना मंदिर के नाम से जाना जाता है। यह मंदिर पूरी दुनिया में अनोखा और एक-मात्र मोटरसाइकिल मंदिर है।

इसके पीछे एक रोचक कहानी है। सन 23 दिसंबर 1988 को ओम सिंह राठौड़ नाम का शख्स अपनी बुलेट मोटरसाइकिल पर अपने ससुराल से अपने गाँव चोटिला जा रहा था। रास्ते में एक पेड़ से टकराने से उसका एक्सीडेंट हो गया और घटनास्थल पर ही उसकी मृत्यु हो गयी।
एक्सीडेंट के बाद उसकी बुलेट मोटरसाइकिल को पास के थाने ले जाया गया। लेकिन अगले दिन पुलिस-कर्मियों को वह मोटरसाइकिल थाने में नहीं मिली। मोटर-साइकिल अपने आप ही चल कर एक्सिडेंट वाले स्थान पर चली गयी थी। बाइक को फिर थाने ले जाया गया। लेकिन अगले दिन बाइक फिर उसी स्थान में पहुँच गयी। ऐसा तीन-चार बार हुआ।
पुलिस वालों ने किसी की शरारत समझ कर अब बाइक को लोहे की चेनों में बाँध दिया और उसकी निगरानी करने लगे। कहते हैं कि अगले ही दिन सबकी मौजूदगी में बाइक अपने आप स्टार्ट हो कर चेनों को तोड़ कर उसी स्थान में पहुँच गयी।
इसके बाद पुलिस और लोगों ने उस स्थान को पवित्र मान कर मोटरसाइकिल को वहीँ स्थापित कर दिया। लोगों ने मान लिया था कि इस बाइक में कोई दिव्य शक्ति है। बाद में यहां एक मंदिर भी बनवा दिया गया और लोग इस बाइक को पूजने लगे। वर्तमान में इसे बुलेट बाबा का मंदिर या ओम बन्ना मंदिर कहते हैं।

यह स्थान पाली जोधपुर राष्ट्रीय राज मार्ग पर स्थित है। यहाँ ओम बन्ना के नाम का चबूतरा बनाया गया है, ठीक उस स्थान पर जहाँ उनका एक्सीडेंट हुआ था। यहाँ दिन रात ज्योति प्रज्वलित रहती है। यहाँ नारियल ,फूल, दारू आदि का चढ़ावा चढ़ाने के लिए दूर-दूर से श्रद्धालु यहाँ आते हैं।
ओम सिंह राठौड़ चोटिला गाँव के ठाकुर जोग सिंह जी के पुत्र थे राजपूतों में युवकों को प्यार से बन्ना कहा जाता है।
कहते हैं यह एरिया जहाँ यह दुर्घटना हुई थी राजस्थान के बड़े दुर्घटना क्षेत्रों में से एक था लेकिन इसके बाद यहाँ कोई दुर्घटना नहीं हुई। लोग आज भी ओम बन्ना को पवित्र आत्मा मानकर उन्हें बुलेट बाबा के रूप में पूज कर उन्हें सम्मान देते हैं। लोगों का मानना है कि वे बुलेट के रूप में आज भी उनके बीच विराजमान हैं।

इसके पीछे एक रोचक कहानी है। सन 23 दिसंबर 1988 को ओम सिंह राठौड़ नाम का शख्स अपनी बुलेट मोटरसाइकिल पर अपने ससुराल से अपने गाँव चोटिला जा रहा था। रास्ते में एक पेड़ से टकराने से उसका एक्सीडेंट हो गया और घटनास्थल पर ही उसकी मृत्यु हो गयी।
एक्सीडेंट के बाद उसकी बुलेट मोटरसाइकिल को पास के थाने ले जाया गया। लेकिन अगले दिन पुलिस-कर्मियों को वह मोटरसाइकिल थाने में नहीं मिली। मोटर-साइकिल अपने आप ही चल कर एक्सिडेंट वाले स्थान पर चली गयी थी। बाइक को फिर थाने ले जाया गया। लेकिन अगले दिन बाइक फिर उसी स्थान में पहुँच गयी। ऐसा तीन-चार बार हुआ।
पुलिस वालों ने किसी की शरारत समझ कर अब बाइक को लोहे की चेनों में बाँध दिया और उसकी निगरानी करने लगे। कहते हैं कि अगले ही दिन सबकी मौजूदगी में बाइक अपने आप स्टार्ट हो कर चेनों को तोड़ कर उसी स्थान में पहुँच गयी।
इसके बाद पुलिस और लोगों ने उस स्थान को पवित्र मान कर मोटरसाइकिल को वहीँ स्थापित कर दिया। लोगों ने मान लिया था कि इस बाइक में कोई दिव्य शक्ति है। बाद में यहां एक मंदिर भी बनवा दिया गया और लोग इस बाइक को पूजने लगे। वर्तमान में इसे बुलेट बाबा का मंदिर या ओम बन्ना मंदिर कहते हैं।

यह स्थान पाली जोधपुर राष्ट्रीय राज मार्ग पर स्थित है। यहाँ ओम बन्ना के नाम का चबूतरा बनाया गया है, ठीक उस स्थान पर जहाँ उनका एक्सीडेंट हुआ था। यहाँ दिन रात ज्योति प्रज्वलित रहती है। यहाँ नारियल ,फूल, दारू आदि का चढ़ावा चढ़ाने के लिए दूर-दूर से श्रद्धालु यहाँ आते हैं।
ओम सिंह राठौड़ चोटिला गाँव के ठाकुर जोग सिंह जी के पुत्र थे राजपूतों में युवकों को प्यार से बन्ना कहा जाता है।
कहते हैं यह एरिया जहाँ यह दुर्घटना हुई थी राजस्थान के बड़े दुर्घटना क्षेत्रों में से एक था लेकिन इसके बाद यहाँ कोई दुर्घटना नहीं हुई। लोग आज भी ओम बन्ना को पवित्र आत्मा मानकर उन्हें बुलेट बाबा के रूप में पूज कर उन्हें सम्मान देते हैं। लोगों का मानना है कि वे बुलेट के रूप में आज भी उनके बीच विराजमान हैं।