आजकल रा ब्याँव

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समझदार और पढयो लिख्यो आपांको सभ्य समाज।
शादी ब्याँव में लाखों और करोड़ों खरचे आज।

(करोड़ों खरचे आज, नाक सब ऊँची रखणी चावे।
कुरीत्याँ के दळदळ मांही सगला धँसता जावे।।

'होटल और रिसोर्ट' मे जद सुं होवण लागी शादी।
आंधा होकर लोग करे है, पैसा री बरबादी।।

पैसा री बरबादी, सब ठेके सुं होवे काम।
'इवेंट मेनेजमेंट' वाला ने चुकावे दुगुणा दाम।।

'केटरिंग' वालां को चोखो चाल पड्यो व्यापार।
छोटा मोटा रसोईया भी बणगया ठेकेदार।।

बणगया ठेकेदार, प्लेटाँ गिण गिण कर के देवे।
खड़ा खड़ा जिमावे और मुहमांग्या पैसा लेवे।।

ब्याँव रा नूंता रो मैसेज 'मोबाइल' मे आग्यो।
'कुंकुंपत्री' देवण जाणो दोरो लागण लाग्यो।।

दोनों दोरो लागण लाग्यो, घर घर कुणतो धक्का खावे।
पाड़ोसी रो कार्ड भी 'कुरियर' सुं भिजवावे।।

'जीमण' में भी करणे लाग्या आईटम बेशुमार।
आधे से ज्यादा खाणों तो जावे है बेकार।।

जावे है बेकार, जिमावण ताँई वेटर लावे।
'मेकअप' करोड़ी दो चार, 'सर्विस गर्ल' बुलावे।।

गीत गावणे की रीतां तो अजकळ सारी मिटगी।
'संगीत संध्या'तक ही अब, सगळी बात सिमटगी।।

सगळी बात सिमटगी, उठग्या सारा नेगचार।
सग्गा और प्रसंग्याँ की भी नहीं हुवे मनुहार।।

आपाँणी 'संस्कृती' को देखो, पतन हो गयो सारो।
देखादेखी भेड़ चाल में, गरीब मरे बिचारो।।

पुकार रह्यो समाज, कोई तो करो सुधार।
डूब रही 'समाज' री नैया, कुण थामे पतवार।